सोशल मीडिया पर हाल ही में एक पोस्ट ने खूब चर्चा बटोरी, जिसमें Google Pay और PhonePe जैसी कंपनियों के बिजनेस मॉडल का राज़ खोला गया। आम लोगों को हैरानी इस बात की थी कि “जब UPI फ्री है, तो आखिर ये कंपनियां अरबों का मुनाफा कैसे कमा रही हैं?”
असल में, UPI इन ऐप्स का सिर्फ एक चेहरा है – असली कमाई इसके पीछे छिपे इनोवेटिव सर्विस मॉडल से होती है।
1. वॉइस स्पीकर से करोड़ों की कमाई
अगर आपने किसी दुकान पर पेमेंट के बाद “₹100 received” जैसा वॉइस मैसेज सुना है, तो समझ जाइए कि यह भी इन कंपनियों की इनकम का हिस्सा है। Google Pay और PhonePe दुकानदारों को यह वॉइस स्पीकर रेंट पर देते हैं, और हर महीने करीब ₹100 चार्ज करते हैं।
अब सोचिए, अगर सिर्फ 10 लाख दुकानदार भी यह सर्विस लेते हैं, तो महीने का ₹10 करोड़ और साल का ₹120 करोड़ सिर्फ एक फीचर से आ जाता है।
2. ब्रांड विजिबिलिटी से दोहरा फायदा
इन वॉइस स्पीकर और QR स्टैंड पर कंपनियों का लोगो और ब्रांडिंग छपी होती है। इससे मार्केट में उनकी visibility बढ़ती है, और वही ब्रांड पहचान उन्हें और बिजनेस डील्स दिलाती है।
कई FMCG और अन्य कंपनियां भी अपने प्रमोशनल मैसेज या ऑफर इन डिस्प्ले पर दिखाने के लिए पेमेंट करती हैं।
3. सॉफ्टवेयर और फाइनेंशियल सर्विसेज
UPI इनके लिए सिर्फ गेटवे है। असली पैसा सॉफ्टवेयर और फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स से आता है – जैसे GST हेल्प, इनवॉइस जनरेशन, माइक्रो लोन और बिजनेस मैनेजमेंट टूल्स।
छोटे व्यापारियों के लिए यह सर्विस लाइफलाइन बन चुकी है, और जब यूजर एक इकोसिस्टम में बंध जाता है, तो कंपनी को सालों तक रेवेन्यू मिलता है।
4. मॉडल कॉस्ट जीरो, स्केल अनलिमिटेड
UPI का इंफ्रास्ट्रक्चर भारत सरकार और NPCI सपोर्ट करती है, जिससे इन कंपनियों का core transaction cost लगभग जीरो है। यानी, खर्च कम, लेकिन स्केल अनलिमिटेड – और यही इनके अरबों के प्रॉफिट का सीक्रेट है।
5. क्या UPI हमेशा फ्री रहेगा?
यहीं से सवाल उठता है – क्या आम यूजर के लिए UPI हमेशा फ्री रहेगा? RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा के हालिया बयान संकेत देते हैं कि आने वाले समय में शायद यह फ्री न रहे। उन्होंने कहा, “किसी भी सर्विस के सफल होने के लिए जरूरी है कि उसकी कॉस्ट यूजर्स भी शेयर करें।”
अभी सरकार और बैंकों पर पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर का खर्च सब्सिडी से उठाया जा रहा है, लेकिन यह मॉडल लंबे समय तक टिकना मुश्किल है।
निष्कर्ष
Google Pay और PhonePe जैसी कंपनियां UPI को एक entry point बनाकर सॉफ्टवेयर, ब्रांडिंग और फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स से अरबों की कमाई कर रही हैं। UPI भले ही आज फ्री है, लेकिन आने वाले दिनों में इसमें बदलाव संभव है।
मतलब, आपके ₹0 ट्रांजैक्शन के पीछे भी करोड़ों का बिजनेस चल रहा है – और यही है डिजिटल पेमेंट का असली जादू।
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