अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच चार साल बाद होने वाली ऐतिहासिक मुलाकात ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर घोषणा की है कि यह बैठक 15 अगस्त को अलास्का में होगी। यह पहली बार होगा जब जनवरी 2025 में शुरू हुए ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के दौरान दोनों नेता आमने-सामने बैठेंगे।
इस शिखर वार्ता को लेकर चर्चाएं लंबे समय से चल रही थीं। ट्रंप ने हाल ही में संकेत दिया था कि वह अपने रूसी समकक्ष से जल्द से जल्द मिलना चाहते हैं, खासकर यूक्रेन में चल रहे युद्ध को समाप्त करने के उद्देश्य से।
अलास्का की मेजबानी इसलिए भी खास है क्योंकि 4 साल बाद किसी अमेरिकी और रूसी राष्ट्रपति की मुलाकात यहां हो रही है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बैठक द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में चले आ रहे सबसे लंबे संघर्ष – रूस-यूक्रेन युद्ध – के समाधान की दिशा में एक अहम मोड़ साबित हो सकती है।
इस युद्ध में अब तक लगभग पांच लाख सैनिकों के मारे जाने का अनुमान है, जबकि लाखों लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं। पुतिन और ट्रंप दोनों ही इस युद्ध को समाप्त करने की इच्छा रखते हैं, लेकिन अपनी-अपनी शर्तों पर।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि ट्रंप किसी शांति समझौते तक पहुंचते हैं, तो यह उन्हें “पीस प्रेसिडेंट” की छवि दिला सकता है और संभवतः नोबेल शांति पुरस्कार के लिए दावेदारी भी मजबूत कर सकता है।
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भारत ने भी इस संभावित ऐतिहासिक बैठक का स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि भारत किसी भी तरह युद्ध को रोकने और शांति स्थापित करने के प्रयासों का समर्थन करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार यह दोहरा चुके हैं कि “यह युद्ध का युग नहीं है” और सभी पक्षों को बातचीत के माध्यम से समाधान तलाशना चाहिए।
भारत ने हालांकि खुद को आधिकारिक मध्यस्थ के रूप में पेश नहीं किया है, लेकिन उसने संकेत दिए हैं कि आवश्यकता पड़ने पर वह सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
इस मुलाकात का एजेंडा अमेरिकी अधिकारियों ने औपचारिक रूप से साझा नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा है कि चर्चा का मुख्य विषय यूक्रेन संघर्ष और उससे जुड़े मानवीय संकट होंगे।
जून 2021 में पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन और पुतिन के बीच जिनेवा में हुई बैठक के बाद यह अमेरिका-रूस राष्ट्रपति स्तर की पहली मुलाकात होगी।
दुनिया की निगाहें अब 15 अगस्त के अलास्का शिखर सम्मेलन पर टिकी हैं। वैश्विक समुदाय को उम्मीद है कि यह मुलाकात न केवल यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाएगी, बल्कि आने वाले समय में अमेरिका और रूस के रिश्तों में भी नई शुरुआत करेगी।